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शोख़ी शबाब हुस्न तबस्सुम हया के साथ | शाही शायरी
shoKHi shabab husn tabassum haya ke sath

ग़ज़ल

शोख़ी शबाब हुस्न तबस्सुम हया के साथ

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

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शोख़ी शबाब हुस्न तबस्सुम हया के साथ
दिल ले लिया है आप ने किस किस अदा के साथ

हर लम्हा माँगते हैं दुआ दीद-ए-यार की
याद-ए-बुताँ भी दिल में है याद-ए-ख़ुदा के साथ

तीर-ए-निगाह लुत्फ़-ओ-करम से न बच सका
जो मर सका न ख़ंजर-ए-जौर-ओ-जफ़ा के साथ

इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ का मुझ से हो क्या गिला
क्या तुम छुपा सके हो उसे इस हया के साथ

दिल कामयाब है न नज़र बारयाब है
पाला पड़ा है इश्क़ में किस बेवफ़ा के साथ

ऐ मोहतसिब हमारे गुनह हैं बजा मगर
रहमत का बाब खुलता है हर इक ख़ता के साथ