शमीम ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए
मिरे दिल को क़रार आए न आए
अभी आया है होश ऐ बाद-ए-जानाँ
न तड़पा बार बार आए न आए
चराग़-ए-ज़िंदगानी बुझ रहा है
वो जान-ए-इंतिज़ार आए न आए
किया जो तुम ने अपने दिल से पूछो
हमारा ए'तिबार आए न आए
निगाह-ए-अहल-ए-गुलशन कह रही है
ख़िज़ाँ जाए बहार आए न आए
बढ़ेगा कारवाँ मंज़िल ब-मंज़िल
ग़ुबार-ए-रह-गुज़ार आए न आए
ग़ज़ल
शमीम ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए
सिकंदर अली वज्द