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शमीम-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए | शाही शायरी
shamim-e-zulf-e-yar aae na aae

ग़ज़ल

शमीम-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए

सिकंदर अली वज्द

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शमीम-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए
मिरे दिल को क़रार आए न आए

अभी आया है होश ऐ याद-ए-जानाँ
न तड़पा बार बार आए न आए

चराग़-ए-ज़िंदगानी बुझ रहा है
वो जान-ए-इंतिज़ार आए न आए

किया जो तुम ने अपने दिल से पूछो
हमारा ए'तिबार आए न आए

निगाह-ए-अहल-ए-गुलशन कह रही है
ख़िज़ाँ जाए बहार आए न आए

बढ़ेगा कारवाँ मंज़िल-ब-मंज़िल
ग़ुबार-ए-रह-गुज़र आए न आए