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सेहन-ए-गुलशन में चाँदनी देखें | शाही शायरी
sehn-e-gulshan mein chandni dekhen

ग़ज़ल

सेहन-ए-गुलशन में चाँदनी देखें

ओम प्रकाश बजाज

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सेहन-ए-गुलशन में चाँदनी देखें
हुस्न-ए-तकमील-ए-ज़िंदगी देखें

आओ फ़ितरत की देखें रा'नाई
पत्तियाँ कुछ हरी हरी देखें

मेरा हर शे'र है निशान-ए-हयात
मेरा अंदाज़-ए-शाइ'री देखें

सिर्फ़ तेरे ही हम पुजारी हैं
दिल में तेरी ही मूर्ती देखें

चश्म-ए-बातिन खुले तो बात बने
अर्श के राज़ हर घड़ी देखें

मेरी नज़रों में एक सा है समाँ
कमतरी और न बरतरी देखें

मस्त-ओ-बे-ख़ुद सा है 'बजाज' कोई
उस का अंदाज़-ए-ज़िंदगी देखें