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सर मिला है इश्क़ का सौदा समाने के लिए | शाही शायरी
sar mila hai ishq ka sauda samane ke liye

ग़ज़ल

सर मिला है इश्क़ का सौदा समाने के लिए

मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी

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सर मिला है इश्क़ का सौदा समाने के लिए
आँखें दीं इंसान को आँसू बहाने के लिए

उस का हँसना याद आता है रुलाने के लिए
कुछ बहाना चाहिए आँसू बहाने के लिए

कोई ज़ाहिद बन गया है कोई वाइज़ बन गया
कैसे कैसे स्वाँग हैं रोटी कमाने के लिए

नक़्द-ए-दिल को वारते हैं हम लब-ए-पाँ-ख़ुर्दा पर
नज़्र लाए हैं तुम्हारे पान खाने के लिए

मुझ पे है चश्म-ए-इताब औरों पे शफ़क़त की नज़र
मुझ को इज़राईल ईसा हो ज़माने के लिए

काबा-ए-उम्मीद की ताज़ीम वाजिब थी ज़रूर
हम ने बोसे 'सेहर' उस के आस्ताने के लिए