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सर-ए-निगाह बिसात-ए-जहाँ तो कुछ भी नहीं | शाही शायरी
sar-e-nigah bisat-e-jahan to kuchh bhi nahin

ग़ज़ल

सर-ए-निगाह बिसात-ए-जहाँ तो कुछ भी नहीं

हादिस सलसाल

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सर-ए-निगाह बिसात-ए-जहाँ तो कुछ भी नहीं
जहान-ए-ख़ुद-निगर-ओ-कज-गुमाँ तो कुछ भी नहीं

दरूद बर-सर-ए-कर्ब-ए-तग़य्युर-ए-मौसम
ग़म-ए-सियासत-ए-अहल-ए-जहाँ तो कुछ भी नहीं

तमाम अस्ल-ए-सुख़न दाद-ए-ख़ालिक़-ए-ख़ामा
कमाल-ए-मुबतदी-ए-नीम-जाँ तो कुछ भी नहीं

तमाम हुस्न-ए-सुख़न ख़ूबी-हा-ए-नुक्ता-वराँ
जमाल-ए-दीदा-ए-गिर्या-कुनाँ तो कुछ भी नहीं

ब-पेश-ए-जुरअत-ए-तर्क-ए-उमीद-ए-यास फ़ज़ा
बिसात-ए-आलम-ए-उम्मीद-ए-आँ तो कुछ भी नहीं

उम्मीद-वार रुख़-ए-दीदा-बख़्श-ए-आईना-हा
क़रीब-ओ-दूर निगह जुज़ गुमाँ तो कुछ भी नहीं

सुकूत-ए-अर्ज़-ओ-समा पर्दा-हा-ए-शोरिश-ए-दिल
खुला कि ग़लग़ला-ए-अल-अमाँ तो कुछ भी नहीं

सर-ए-बसीत-ए-जमाल-ए-मुजस्सम-ए-इज्माल
तहय्युर-ए-निगह-ए-आशिक़ाँ तो कुछ भी नहीं

सुकून-ए-ख़्वाब-ए-फ़िज़ा, रंज-ए-राएगान-ए-उम्र
ज़यान-ए-बाइस-ए-सदहा ज़ियाँ तो कुछ भी नहीं

शुऊर-ए-चश्म-ओ-दिल-ओ-जाँ निसारी-ए-आशिक़
अगर है ख़ालिक़-ए-नाम-ओ-निशाँ तो कुछ भी नहीं

सफ़ीर-ए-ख़ुश-ख़बर-ए-कू-ए-यार-ए-ना-मौजूद
नहीं वजूद-ए-फ़रेब-ए-गुमाँ तो कुछ भी नहीं

ख़मोशी-ए-रह-ए-पुर-सम्त-ए-यक मुसाफ़िर-ए-जू
नहीं है नाला-ए-पा-बस्तगाँ तो कुछ भी नहीं

सलाह-ए-ख़ुश-गुज़राँ क़ातिल-ए-तमन्ना है
मगर वक़ार-ए-तमन्ना यहाँ तो कुछ भी नहीं