EN اردو
साँसें ना-हमवार मिरी | शाही शायरी
sansen na-hamwar meri

ग़ज़ल

साँसें ना-हमवार मिरी

फ़रहत एहसास

;

साँसें ना-हमवार मिरी
जान हवा-ए-यार मिरी

मेरी नफ़ी को रास्ता कर
मंज़िल साफ़ इंकार मिरी

मार मुझे और जान बचा
ऐ जान-ए-बीमार मिरी

पाँव हुए मफ़्लूज मिरे
चलने लगी दीवार मिरी

मैं ख़ाली मैदान-ए-जंग
हाथ उस के तलवार मिरी

मैं दरिया के हुस्न में गुम
जा कश्ती बेकार मिरी

आइंदा 'फ़रहत-एहसास'
मय्यत है तय्यार मिरी