साँसें ना-हमवार मिरी
जान हवा-ए-यार मिरी
मेरी नफ़ी को रास्ता कर
मंज़िल साफ़ इंकार मिरी
मार मुझे और जान बचा
ऐ जान-ए-बीमार मिरी
पाँव हुए मफ़्लूज मिरे
चलने लगी दीवार मिरी
मैं ख़ाली मैदान-ए-जंग
हाथ उस के तलवार मिरी
मैं दरिया के हुस्न में गुम
जा कश्ती बेकार मिरी
आइंदा 'फ़रहत-एहसास'
मय्यत है तय्यार मिरी
ग़ज़ल
साँसें ना-हमवार मिरी
फ़रहत एहसास