रूह प्यासी कहाँ से आती है
ये उदासी कहाँ से आती है
है वो यक-सर सुपुर्दगी तो भला
बद-हवासी कहाँ से आती है
वो हम-आग़ोश है तो फिर दिल में
ना-शनासी कहाँ से आती है
एक ज़िंदान-ए-बे-दिली और शाम
ये सबा सी कहाँ से आती है
तू है पहलू में फिर तिरी ख़ुश्बू
हो के बासी कहाँ से आती है
दिल है शब-सोख़्ता सिवाए उम्मीद
तू निदा सी कहाँ से आती है
मैं हूँ तुझ में और आस हूँ तेरी
तो निरासी कहाँ से आती है
ग़ज़ल
रूह प्यासी कहाँ से आती है
जौन एलिया