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रूह प्यासी कहाँ से आती है | शाही शायरी
ruh pyasi kahan se aati hai

ग़ज़ल

रूह प्यासी कहाँ से आती है

जौन एलिया

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रूह प्यासी कहाँ से आती है
ये उदासी कहाँ से आती है

है वो यक-सर सुपुर्दगी तो भला
बद-हवासी कहाँ से आती है

वो हम-आग़ोश है तो फिर दिल में
ना-शनासी कहाँ से आती है

एक ज़िंदान-ए-बे-दिली और शाम
ये सबा सी कहाँ से आती है

तू है पहलू में फिर तिरी ख़ुश्बू
हो के बासी कहाँ से आती है

दिल है शब-सोख़्ता सिवाए उम्मीद
तू निदा सी कहाँ से आती है

मैं हूँ तुझ में और आस हूँ तेरी
तो निरासी कहाँ से आती है