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रुख़ परी चश्म परी ज़ुल्फ़ परी आन परी | शाही शायरी
ruKH pari chashm pari zulf pari aan pari

ग़ज़ल

रुख़ परी चश्म परी ज़ुल्फ़ परी आन परी

नज़ीर अकबराबादी

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रुख़ परी चश्म परी ज़ुल्फ़ परी आन परी
क्यूँ न अब नाम-ए-ख़ुदा हो तिरे क़ुर्बान परी

झमके झमके वो सुरय्या के किरन फूल वो फूल
बुंदे बाले परी मोती परी और कान परी

रश्क-ए-ख़ुर्शीद जबीं अब्र-ए-सियह सी पट्टी
लहर चोटी की ग़ज़ब ज़ुल्फ़-ए-परेशान परी

हुस्न गुलज़ार क़मर शक्ल सुराही गर्दन
मह-जबीं सेब-ए-ज़क़न चाह-ए-ज़नख़दान परी

मार ग़म्ज़ा की बला तीर-ए-निगह दस्त-ए-सिनाँ
तेग़-ए-अबरू की सितम तरकश-ए-मिज़्गान परी

मुस्कुराने की अदा जैसे चमक बिजली की
आन हँसने की क़यामत लब-ओ-दंदान परी

आँख मस्ती की भरी शोख़ निगाहें चंचल
क़हर काजल की खचावट मिसी ओ पान परी

बेनी और नथ का वो आलम कि छिदे दिल जिस से
हूर चुन्नी की झलक गौहर-ए-ग़लतान परी

धुकधुकी चाँद सी जुगनू भी सितारों की मिसाल
इत्र-दाँ तुर्फ़ा वो तोड़े भी दरख़्शान परी

चाक सीने का ग़ज़ब साफ़ बदन मोती सा
एक तस्वीर सी कुर्ती का गरेबान परी

पुश्त गुल-बर्ग शिकम सीम कमर तार-ए-निगाह
सान-ए-बिल्लोर गुलावट में हर इक रान परी

घेरा pashvaaz का वो जिस के कनारी क़ुर्बां
चाल आफ़त की निशाँ जुम्बिश-ए-दामान परी

क्या कहूँ उस के सरापा की मैं तारीफ़ 'नज़ीर'
क़द परी धज परी आलम परी और शान परी