रोज़ कहता है मुझे चल दश्त में
ले न जाए दिल ये पागल दश्त में
दर्ज होनी है नई आमद कोई
हो रही है ख़ूब हलचल दश्त में
एक मैं हूँ एक हैं मजनूँ-मियाँ
हो गए दो लोग टोटल दश्त में
इश्क़ में अपने अधूरापन जो था
हो गया आ के मुकम्मल दश्त में
रात-भर आवारगी करते रहे
एक मैं इक चाँद पागल दश्त में

ग़ज़ल
रोज़ कहता है मुझे चल दश्त में
राज़िक़ अंसारी