रविश रविश पे हैं निकहत-फ़शाँ गुलाब के फूल
हसीं गुलाब के फूल अर्ग़वाँ गुलाब के फूल
जहान-ए-गिर्या-ए-शबनम से किस ग़ुरूर के साथ
गुज़र रहे हैं तबस्सुम-कुनाँ गुलाब के फूल
ये मेरा दामन-ए-सद-चाक ये रिदा-ए-बहार
यहाँ शराब के छींटे वहाँ गुलाब के फूल
ख़याल-ए-यार तिरे सिलसिले नशों की रुतें
जमाल-ए-यार तिरी झलकियाँ गुलाब के फूल
मिरी निगाह में दौर-ए-ज़माँ की हर करवट
लहू की लहर दिलों का धुआँ गुलाब के फूल
सुलगते जाते हैं चुप-चाप हँसते जाते हैं
मिसाल-ए-चेहरा-ए-पैग़मबराँ गुलाब के फूल
ये क्या तिलिस्म है ये किस की यासमीं बाँहें
छिड़क गई हैं जहाँ-दर-जहाँ गुलाब के फूल
कटी है उम्र बहारों के सोग में 'अमजद'
मिरी लहद पे खिलें जावेदाँ गुलाब के फूल
ग़ज़ल
रविश रविश पे हैं निकहत-फ़शाँ गुलाब के फूल
मजीद अमजद

