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रविश रविश पे हैं निकहत-फ़शाँ गुलाब के फूल | शाही शायरी
rawish rawish pe hain nikhat-fashan gulab ke phul

ग़ज़ल

रविश रविश पे हैं निकहत-फ़शाँ गुलाब के फूल

मजीद अमजद

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रविश रविश पे हैं निकहत-फ़शाँ गुलाब के फूल
हसीं गुलाब के फूल अर्ग़वाँ गुलाब के फूल

जहान-ए-गिर्या-ए-शबनम से किस ग़ुरूर के साथ
गुज़र रहे हैं तबस्सुम-कुनाँ गुलाब के फूल

ये मेरा दामन-ए-सद-चाक ये रिदा-ए-बहार
यहाँ शराब के छींटे वहाँ गुलाब के फूल

ख़याल-ए-यार तिरे सिलसिले नशों की रुतें
जमाल-ए-यार तिरी झलकियाँ गुलाब के फूल

मिरी निगाह में दौर-ए-ज़माँ की हर करवट
लहू की लहर दिलों का धुआँ गुलाब के फूल

सुलगते जाते हैं चुप-चाप हँसते जाते हैं
मिसाल-ए-चेहरा-ए-पैग़मबराँ गुलाब के फूल

ये क्या तिलिस्म है ये किस की यासमीं बाँहें
छिड़क गई हैं जहाँ-दर-जहाँ गुलाब के फूल

कटी है उम्र बहारों के सोग में 'अमजद'
मिरी लहद पे खिलें जावेदाँ गुलाब के फूल