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रंग लाएगी इल्तिजा मेरी | शाही शायरी
rang laegi iltija meri

ग़ज़ल

रंग लाएगी इल्तिजा मेरी

शंकर लाल शंकर

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रंग लाएगी इल्तिजा मेरी
सुन ही लेगा कभी ख़ुदा मेरी

ज़ब्त-ए-ग़म को दुआएँ देता हूँ
रह गई घुट के हर सदा मेरी

उस की बंदा-नवाज़ियाँ देखो
बख़्श देता है हर ख़ता मेरी

सुनने वालों के दिल तड़प उट्ठे
साज़-ए-ग़म बन गई सदा मेरी

वस्ल मुमकिन नहीं विसाल सही
अब तो कुछ और है दुआ मेरी

बे-सहारों का आसरा तू है
कौन सुनता तिरे सिवा मेरी

ये मशिय्यत के राज़ हैं 'शंकर'
इब्तिदा मेरी इंतिहा मेरी