EN اردو
रंग दुनिया ने दिखाया है निराला देखूँ | शाही शायरी
rang duniya ne dikhaya hai nirala dekhun

ग़ज़ल

रंग दुनिया ने दिखाया है निराला देखूँ

कुमार विश्वास

;

रंग दुनिया ने दिखाया है निराला देखूँ
है अँधेरे में उजाला तो उजाला देखूँ

आइना रख दे मिरे सामने आख़िर मैं भी
कैसा लगता है तिरा चाहने वाला देखूँ

कल तलक वो जो मिरे सर की क़सम खाता था
आज सर उस ने मिरा कैसे उछाला देखूँ

मुझ से माज़ी मिरा कल रात सिमट कर बोला
किस तरह मैं ने यहाँ ख़ुद को सँभाला देखूँ

जिस के आँगन से खुले थे मिरे सारे रस्ते
उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ