रहनुमाओं की बात करते हो
पारसाओं की बात करते हो
जो उड़ा लें सरों से आँचल भी
उन हवाओं की बात करते हो
जल रही है ज़मीं की कोख मगर
तुम ख़लाओं की बात करते हो
मुझ को मेहनत का भी सिला न मिला
तुम दुआओं की बात करते हो
पहले इंसाँ को ज़हर देते हो
फिर दवाओं की बात करते हो
मेरी बस्ती में भूक पलती है
तुम बलाओं की बात करते हो
मार डाला वफ़ा-शिआ'रों ने
बे-वफ़ाओं की बात करते हो
कितने फ़िरऔन मिट गए आ कर
किन ख़ुदाओं की बात करते हो
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ग़ज़ल
रहनुमाओं की बात करते हो
नक़्क़ाश आबिदी