रात दिन शाम-ओ-सहर सब एक रंग
हादसे ख़ैर-ओ-ख़बर सब एक रंग
एक रंग आब-ओ-हवा-ए-ख़ुश्क-ओ-तर
बहर-ओ-बर सैर-ओ-सफ़र सब एक रंग
हर तरफ़ वीरानियाँ हैं ख़ेमा-ज़न
घर खंडर सहरा नगर सब एक रंग
जाने कस मौसम नय ये मंज़र दिया
ख़ार, गल, बर्ग-ओ-समर सब एक रंग
नेक-ओ-बद-किरदार की पहचान क्या
जिन परी पथर बशर सब एक रंग
ग़ज़ल
रात दिन शाम-ओ-सहर सब एक रंग
सुल्तान शाहिद