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रात दिन शाम-ओ-सहर सब एक रंग | शाही शायरी
raat din sham-o-sahar sab ek rang

ग़ज़ल

रात दिन शाम-ओ-सहर सब एक रंग

सुल्तान शाहिद

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रात दिन शाम-ओ-सहर सब एक रंग
हादसे ख़ैर-ओ-ख़बर सब एक रंग

एक रंग आब-ओ-हवा-ए-ख़ुश्क-ओ-तर
बहर-ओ-बर सैर-ओ-सफ़र सब एक रंग

हर तरफ़ वीरानियाँ हैं ख़ेमा-ज़न
घर खंडर सहरा नगर सब एक रंग

जाने कस मौसम नय ये मंज़र दिया
ख़ार, गल, बर्ग-ओ-समर सब एक रंग

नेक-ओ-बद-किरदार की पहचान क्या
जिन परी पथर बशर सब एक रंग