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रात ढलने के ब'अद क्या होगा | शाही शायरी
raat Dhalne ke baad kya hoga

ग़ज़ल

रात ढलने के ब'अद क्या होगा

सरवत हुसैन

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रात ढलने के ब'अद क्या होगा
दिन निकलने के ब'अद क्या होगा

सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ
बच निकलने के ब'अद क्या होगा

ख़्वाब टूटा तो गिर पड़े तारे
आँख मलने के ब'अद क्या होगा

रक़्स में होगी एक परछाईं
दीप जलने के ब'अद क्या होगा

दश्त छोड़ा तो क्या मिला 'सरवत'
घर बदलने के ब'अद क्या होगा