राह-ए-वफ़ा में लूटा गया दिल
है है मिरा दिल बेकस मिरा दिल
रोज़-ए-अज़ल यूँ पैदा हुआ दिल
ली ग़म ने करवट और बन गया दिल
हर दुश्मन-ए-जाँ अहल-ए-वफ़ा है
इक बा-वफ़ा तुम इक बा-वफ़ा दिल
दिल जी रहा है ग़म के सहारे
जब मिट गया ग़म समझो मिटा दिल
तुम दिल में हो या तस्वीर-ए-हैरत
तस्वीर-ए-हैरत या है मिरा दिल
सुनसान महफ़िल वीरान पहलू
रुख़्सत हुए तुम रुख़्सत हुआ दिल
टूटा न आख़िर सदमे से 'मानी'
शीशे से भी था नाज़ुक मिरा दिल
ग़ज़ल
राह-ए-वफ़ा में लूटा गया दिल
मानी जायसी