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राह-ए-वफ़ा में लूटा गया दिल | शाही शायरी
rah-e-wafa mein luTa gaya dil

ग़ज़ल

राह-ए-वफ़ा में लूटा गया दिल

मानी जायसी

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राह-ए-वफ़ा में लूटा गया दिल
है है मिरा दिल बेकस मिरा दिल

रोज़-ए-अज़ल यूँ पैदा हुआ दिल
ली ग़म ने करवट और बन गया दिल

हर दुश्मन-ए-जाँ अहल-ए-वफ़ा है
इक बा-वफ़ा तुम इक बा-वफ़ा दिल

दिल जी रहा है ग़म के सहारे
जब मिट गया ग़म समझो मिटा दिल

तुम दिल में हो या तस्वीर-ए-हैरत
तस्वीर-ए-हैरत या है मिरा दिल

सुनसान महफ़िल वीरान पहलू
रुख़्सत हुए तुम रुख़्सत हुआ दिल

टूटा न आख़िर सदमे से 'मानी'
शीशे से भी था नाज़ुक मिरा दिल