प्याले में जो पानी है
दरिया की हैरानी है
रात भरे मश्कीज़े से
हम ने लौ छलकानी है
बस हम दोनों ज़िंदा हैं
बाक़ी दुनिया फ़ानी है
हँसते महकते जंगल हैं
हरी-भरी वीरानी है
कुएँ की तह में हँसता हुआ
एक सितारा पानी है
तुम ने सहरा देखा है
हम ने रेती छानी है
नया लिबास पहन कर भी
दुनिया वही पुरानी है
घर में रात अकेली है
सेहन में रात की रानी है
लिपटी हुई दो लहरें हैं
ठहरी हुई रवानी है
ग़ज़ल
प्याले में जो पानी है
नज़ीर क़ैसर