पूछते हैं ये शाएरी क्या है
हाए ऐसी भी सादगी क्या है
क्या किसी बाग़बाँ से ये पूछा
फूल क्या शय है ये कली क्या है
ये सबा किस बला का नाम है और
ये रिदा गुल पे शबनमी क्या है
फ़स्ल-ए-गुल से कभी किया दरयाफ़्त
चार सू ये हरी हरी क्या है
पूछ लेते कभी धनक से कि ये
सात रंगों की साहिरी क्या है

ग़ज़ल
पूछते हैं ये शाएरी क्या है
ख़ालिद इक़बाल ताइब