पूछा कि वज्ह-ए-ज़िंदगी बोले कि दिलदारी मिरी
पूछा कि मरने का सबब बोले जफ़ा-कारी मिरी
पूछा कि दिल को क्या कहूँ बोले कि दीवाना मिरा
पूछा कि उस को क्या हुआ बोले कि बीमारी मिरी
पूछा सता के रंज क्यूँ बोले कि पछताना पड़ा
पूछा कि रुस्वा कौन है बोले दिल-आज़ारी मिरी
पूछा कि दोज़ख़ की जलन बोले कि सोज़-ए-दिल तिरा
पूछा कि जन्नत की फबन बोले तरह-दारी मिरी
पूछा कि 'मुज़्तर' क्यूँ किया बोले कि दिल चाहा मिरा
पूछा तसल्ली कौन दे बोले कि ग़म-ख़्वारी मिरी
ग़ज़ल
पूछा कि वज्ह-ए-ज़िंदगी बोले कि दिलदारी मिरी
मुज़्तर ख़ैराबादी