पिया के नयन में बहुत छंद है
ओ वू ज़ुल्फ़ में जीव का आनंद है
सजन यूँ मिठाई सूँ बोले बचन
कि उस ख़ुश बचन में लज़त क़ंद है
मोहन के ओ दो गाल तश्बीह में
सुरज एक दूजा सो जूँ चंद है
नवल मुख सुहे हुस्न का फूलबन
नयन मृग होर ज़ुल्फ़ उस फ़ंद है
ऊ किसवत थे जीव बास महके सदा
तू ऊ बास नारियाँ का दिल-बंद है
पिया कूँ बुला लियाए हूँ अप मंदिर
दुतन मन में उस थे हमन दंद है
नबी सदक़े 'क़ुतबा' कूँ अप सेज ल्याइ
तो चाैंधर खुश्याँ होर आनंद है

ग़ज़ल
पिया के नयन में बहुत छंद है
क़ुली क़ुतुब शाह