पिया बाज प्याला पिया जाए ना
पिया बाज यक तिल जिया जाए ना
कही थे पिया बिन सुबूरी करूँ
कहया जाए अम्मा किया जाए ना
नहीं इश्क़ जिस दू बड़ा कोड़ है
कधीं उस से मिल बे-सिया जाए ना
'क़ुतुब' शह न दे मुज दिवाने को पंद
दिवाने कूँ कुच पंद दिया जाए ना

ग़ज़ल
पिया बाज प्याला पिया जाए ना
क़ुली क़ुतुब शाह