पिला साक़ी बहार आए न आए
घटा फिर बार बार आए न आए
तुझे हम देखने आएँगे सौ बार
कोई दीवाना-वार आए न आए
कहे जाएँगे दर्द-ए-दिल हम अपना
किसी को ए'तिबार आए न आए
वो आ जाएँ इधर खोले हुए बाल
नसीम मुश्क-बार आए न आए
तुम्हें आराम से सोना मुबारक
मुझे शब भर क़रार आए न आए
हवा-ए-शौक़ में अब उड़ चले हम
हवा-ए-कू-ए-यार आए न आए
तिरे दिल में मसर्रत के खिलें फूल
मिरे दिल में बहार आए न आए
'जलील' अब मय-कशी का लुत्फ़ उठाओ
फिर अब्र-ए-नौ-बहार आए न आए
ग़ज़ल
पिला साक़ी बहार आए न आए
जलील मानिकपूरी