पी ली हम ने शराब पी ली
थी आग मिसाल-ए-आब पी ली
अच्छी पी ली ख़राब पी ली
जैसी पाई शराब पी ली
आदत सी है नश्शा न अब कैफ़
पानी न पिया शराब पी ली
छोड़े कई दिन गुज़र गए थे
आई शब-ए-माहताब पी ली
मुँह चूम ले कोई इस अदा पे
सरका के ज़रा नक़ाब पी ली
मंज़ूर थी शुस्तगी ज़बाँ की
थोड़ी सी शराब-ए-नाब पी ली
दाढ़ी की नहीं 'रियाज़' अब शर्म
जब पा गए बे-हिसाब पी ली
ग़ज़ल
पी ली हम ने शराब पी ली
रियाज़ ख़ैराबादी