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पत्थर का वो शहर भी क्या था | शाही शायरी
patthar ka wo shahr bhi kya tha

ग़ज़ल

पत्थर का वो शहर भी क्या था

नासिर काज़मी

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पत्थर का वो शहर भी क्या था
शहर के नीचे शहर बसा था

पेड़ भी पत्थर फूल भी पत्थर
पत्ता पत्ता पत्थर का था

चाँद भी पत्थर झील भी पत्थर
पानी भी पत्थर लगता था

लोग भी सारे पत्थर के थे
रंग भी उन का पत्थर सा था

पत्थर का इक साँप सुनहरा
काले पत्थर से लिपटा था

पत्थर की अंधी गलियों में
मैं तुझे साथ लिए फिरता था

गूँगी वादी गूँज उठती थी
जब कोई पत्थर गिरता था