पत्ते पत्ते से नग़्मा-सरा कौन है
ऐ हवा तेरे अंदर छुपा कौन है
फूल शबनम शफ़क़ चाँदनी कहकशाँ
पर्दा-ए-हुस्न से झाँकता कौन है
मस्लहत-कोश वो तो नहीं था मगर
नुत्क़ को हाथ से रोकता कौन है
इतने बदले हुए हैं कि हैरत में हूँ
मेरे पीछे में उन से मिला कौन है
ना-उमीदी ने मुझ को मुवह्हिद किया
अब ख़ुदा के सिवा आसरा कौन है
ये 'तपिश' की अना है नहीं तो यहाँ
ग़म को हँस हँस के यूँ झेलता कौन है
ग़ज़ल
पत्ते पत्ते से नग़्मा-सरा कौन है
अब्दुस्समद ’तपिश’