EN اردو
परेशानी है जी घबरा रहा है | शाही शायरी
pareshani hai ji ghabra raha hai

ग़ज़ल

परेशानी है जी घबरा रहा है

अफ़सर मेरठी

;

परेशानी है जी घबरा रहा है
कोई धीमे सुरों में गा रहा है

कहूँ क्या हाल-ए-नाकाम-ए-मोहब्बत
तमन्नाओं से जी बहला रहा है

कोई शब की ख़मोशी में है गिर्यां
तसव्वुर में कोई समझा रहा है

तसव्वुर की ये मक़्सद-आफ़रीनी
मैं समझा कोई सच-मुच आ रहा है

जो रस्ता ख़ुल्द में निकला है जा कर
वो दोज़ख़ से निकल कर जा रहा है