पलकों पर हसरत की घटाएँ हम भी पागल तुम भी
जी न सकें और मरते जाएँ हम भी पागल तुम भी
दोनों अपनी आन के सच्चे दोनों अक़्ल के अंधे
हाथ बढ़ाएँ फिर हट जाएँ हम भी पागल तुम भी
ख़्वाब में जैसे जान छुड़ा कर भाग न सकने वाले
भागें और वहीं रह जाएँ हम भी पागल तुम भी
संदल फूले जंगल जागे नाग फिरीं मतवाले
नंगे पाँव चलें घबराएँ हम भी पागल तुम भी
ग़ज़ल
पलकों पर हसरत की घटाएँ हम भी पागल तुम भी
महबूब ख़िज़ां

