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पहले तो जस्ता जस्ता भूल गया | शाही शायरी
pahle to jasta jasta bhul gaya

ग़ज़ल

पहले तो जस्ता जस्ता भूल गया

सईद नक़वी

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पहले तो जस्ता जस्ता भूल गया
और फिर सारा रस्ता भूल गया

बुन रहा था मैं जाल ख़्वाबों का
बाहर आने का रस्ता भूल गया

शहर-ए-दिल से चला गया इक शख़्स
आईना इक शिकस्ता भूल गया

हाँ ख़रीदा था इश्क़ का सौदा
वो था महँगा कि सस्ता भूल गया

मकतब-ए-इश्क़ आ गया हूँ मैं
दिल-ए-नादाँ का बस्ता भूल गया

हुस्न की बारगाह में ऐ 'सईद'
तू भी था दस्त-बस्ता भूल गया