नीम-जाँ हूँ ज़िंदगी दूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है
मेरी हस्ती सूरत-ए-बूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है
गो हूँ मुफ़लिस पर हूँ अपनी तीरा-बख़्ती से नमी
मेरे घर में दौलत-ए-सूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है
हो नहीं सकता सियह-कारी से मैं रौशन-ज़मीर
दिल मिरा इक ज़र्फ़ मासूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है
देख कर परवानों के पर सुब्ह को साबित हुआ
ये बहार-ए-गुलशन जूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है
ऐ 'शगुफ़्ता' मुझ को पीरी में ये मिस्रा याद है
बूद अपनी वहम-ए-नाबूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है

ग़ज़ल
नीम-जाँ हूँ ज़िंदगी दूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है
मुंशी खैराती लाल शगुफ़्ता