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नज़र में वो उतारे जा रहे हैं | शाही शायरी
nazar mein wo utare ja rahe hain

ग़ज़ल

नज़र में वो उतारे जा रहे हैं

साइम जी

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नज़र में वो उतारे जा रहे हैं
मुक़द्दर यूँ सँवारे जा रहे हैं

ऐ दरिया हम तुम्हारा साथ देंगे
जहाँ तक भी किनारे जा रहे हैं

जिन्हें पहले डुबोया जा चुका है
वही फिर क्यूँ उभारे जा रहे हैं

ज़रा नमकीन पानी से सुना है
दिलों के ज़ंग उतारे जा रहे हैं

क़यामत जिस जगह टूटी थी हम पर
वहीं से फिर गुज़ारे जा रहे हैं

हिलाई थी कभी ज़ंजीर हम ने
सुना है अब पुकारे जा रहे हैं