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नयन की पुतली में ऐ सिरीजन तिरा मुबारक मक़ाम दिस्ता | शाही शायरी
nayan ki putli mein ai sirijan tera mubarak maqam dista

ग़ज़ल

नयन की पुतली में ऐ सिरीजन तिरा मुबारक मक़ाम दिस्ता

सिराज औरंगाबादी

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नयन की पुतली में ऐ सिरीजन तिरा मुबारक मक़ाम दिस्ता
पलक के पट खोल कर जो देखूँ तो मुझ कूँ माह-ए-तमाम दिस्ता

परी की मज्लिस में तुझ कूँ ज़ाहिद हनूज़ परवानगी नहीं है
मय-ए-मोहब्बत कूँ नोश कर तूँ कि अब तलक मुझ कूँ ख़ाम दिस्ता

सभों सीं मुख मोड़ कर मिरा दिल प्रित के फ़न में हुआ उदासी
नमाज़ जी सीं नियाज़ की पढ़ सफ़-ए-जुनूँ का इमाम दस्ता

अगरचे हर सर्व रास्त-क़ामत चमन में मग़रूर-ए-सर-कशी है
मुक़ाबिल उस क़द्द-ए-ख़ुश-अदा के मिरी नज़र में ग़ुलाम दस्ता

वो शक्करीं-लब ने गोश-ए-दिल सें तमाम सुन कर यूँ रेख़्ता कूँ
कहा वो मीठे बचन सें मुझ कूँ 'सिराज' शीरीं कलाम दस्ता