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नहीं करती असर फ़रियाद मेरी | शाही शायरी
nahin karti asar fariyaad meri

ग़ज़ल

नहीं करती असर फ़रियाद मेरी

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

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नहीं करती असर फ़रियाद मेरी
कोई किस तरह देवे दाद मेरी

फ़ुग़ान-ए-जाँ-गुसिल रखता हूँ लेकिन
नहीं सुनता मिरा सय्याद मेरी

तू ऐ पैग़ाम-बर झूटी ही कुछ कह
कि ख़ुश हो ख़ातिर-ए-नाशाद मेरी

मैं तुझ को याद करता हूँ इलाही
तिरे भी दिल में होगी याद मेरी

नहीं होता मुक़य्यद मैं किसी का
तबीअत है बहुत आज़ाद मेरी

उधर ऐ 'मुसहफ़ी' क्या देखता है
ग़ज़ल सुन आ मिरे उस्ताद मेरी