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नफ़्स से जो लड़ा नहीं करते | शाही शायरी
nafs se jo laDa nahin karte

ग़ज़ल

नफ़्स से जो लड़ा नहीं करते

जली अमरोहवी

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नफ़्स से जो लड़ा नहीं करते
रूह पर वो जिला नहीं करते

क्यूँ न हो फिर फ़साद दुनिया में
लोग ख़ौफ़-ए-ख़ुदा नहीं करते

अहल-ए-दिल अहल-ए-ज़र्फ़ अहल-ए-नज़र
बात दिल की कहा नहीं करते

उन का जीना अबस है दुनिया में
जो किसी का भला नहीं करते

बज़्म-ए-इशरत में आशिकान-ए-तरब
नाला-ए-दिल सुना नहीं करते

दोस्ती क्या करूँ मैं फूलों से
ये हमेशा खिला नहीं करते

दर्स लो टूटते हबाबों से
सर उठा कर चला नहीं करते

ऐ 'जली' दहर के सताए हुए
ज़िंदगी की दुआ नहीं करते