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नफ़्स नमरूद है क्या होना है | शाही शायरी
nafs namrud hai kya hona hai

ग़ज़ल

नफ़्स नमरूद है क्या होना है

वज़ीर अली सबा लखनवी

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नफ़्स नमरूद है क्या होना है
शिर्क मौजूद है क्या होना है

कश्फ़ मक़्सूद है क्या होना है
हाल मफ़क़ूद है क्या होना है

सज्दे होते हैं किसे ओ ग़ाफ़िल
कौन माबूद है क्या होना है

छोड़ दुनिया-ए-दनी का पीछा
इस से क्या सूद है क्या होना है

हस्त-ओ-बूद-ए-तन-ए-ख़ाकी इक दिन
नीस्त-नाबूद है क्या होना है

साफ़ होता कि हो अज़-ख़ुद रफ़्ता
राह मसदूद है क्या होना है

देखिए हश्र को कैसे गुज़रे
रोज़-ए-मा'हूद है क्या होना है

चाहिए मस्जिद-ए-अक़्सा में नमाज़
दैर मस्जूद है क्या होना है

मन-ओ-सल्वा जिसे हम समझे हैं
ज़हर-आलूद ही क्या होना है

गर्मी-ए-इश्क़-ओ-निहाल-ए-हस्ती
आतिश-ओ-ऊद है क्या होना है

जौहर-ए-रूह तन-ए-ख़ाकी में
क्या गुल-अंदूद है क्या होना है

जो कि मंसूर के पेश आया था
वही मौजूद है क्या होना है

ख़ुद परस्ती की बुरी है सूरत
अब्द माबूद है क्या होना है

ऐ 'सबा' देखिए वो पर्दा-नशीं
किस से ख़ुश-नूद है क्या होना है