नाज़-ओ-अंदाज़ दिल दिखाने लगे
अब वो फ़ित्ने समझ में आने लगे
फिर वही इंतिज़ार की ज़ंजीर
रात आई दिए जलाने लगे
छाँव पड़ने लगी सितारों की
रूह के ज़ख़्म झिलमिलाने लगे
हाल अहवाल क्या बताएँ किसे
सब इरादे गए ठिकाने लगे
मंज़िल-ए-सुब्ह आ गई शायद
रास्ते हर तरफ़ को जाने लगे
ग़ज़ल
नाज़-ओ-अंदाज़ दिल दिखाने लगे
महबूब ख़िज़ां

