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न मैं उस का न वो मेरा हुआ है | शाही शायरी
na main us ka na wo mera hua hai

ग़ज़ल

न मैं उस का न वो मेरा हुआ है

हसन अब्बासी

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न मैं उस का न वो मेरा हुआ है
चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ है

गिरा दूँ अपने पत्ते किस तरह मैं
वो मेरी छाँव में बैठा हुआ है

चलो पढ़ते हैं इस पत्थर को चल कर
सुना है उस पे सच लिक्खा हुआ है

घना वीरान और ख़ामोश जंगल
मिरे अतराफ़ में फैला हुआ है

उधर उस पार जाना चाहता हूँ
मगर दरिया का पुल टूटा हुआ है