न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना
रंग हर वक़्त बदलती रही दुनिया अपना
सूरत-ए-आतिश-ए-ख़ामोश जला करता हूँ
देखता हूँ शब-ए-ग़म आप तमाशा अपना
ज़ख़्म ने दाद न दी दर्द ने फ़रियाद न की
रह गया थाम के क़ातिल भी कलेजा अपना
हुस्न है दाद-ए-ख़ुदा इश्क़ है इमदाद-ए-ख़ुदा
ग़ैर का दख़्ल नहीं बख़्त है अपना अपना
वो सुनें या न सुनें नाला-ओ-फ़रियाद 'अज़ीज़'
आप हरगिज़ न करें तर्क तक़ाज़ा अपना
ग़ज़ल
न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना
अज़ीज़ हैदराबादी