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न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना | शाही शायरी
na badalna tha na badla dil-e-shaida apna

ग़ज़ल

न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना

अज़ीज़ हैदराबादी

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न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना
रंग हर वक़्त बदलती रही दुनिया अपना

सूरत-ए-आतिश-ए-ख़ामोश जला करता हूँ
देखता हूँ शब-ए-ग़म आप तमाशा अपना

ज़ख़्म ने दाद न दी दर्द ने फ़रियाद न की
रह गया थाम के क़ातिल भी कलेजा अपना

हुस्न है दाद-ए-ख़ुदा इश्क़ है इमदाद-ए-ख़ुदा
ग़ैर का दख़्ल नहीं बख़्त है अपना अपना

वो सुनें या न सुनें नाला-ओ-फ़रियाद 'अज़ीज़'
आप हरगिज़ न करें तर्क तक़ाज़ा अपना