EN اردو
मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब' | शाही शायरी
mund gain kholte hi kholte aankhen ghaalib

ग़ज़ल

मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब'

मिर्ज़ा ग़ालिब

;

मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब'
यार लाए मिरी बालीं पे उसे पर किस वक़्त