मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब'
यार लाए मिरी बालीं पे उसे पर किस वक़्त
ग़ज़ल
मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब'
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मिर्ज़ा ग़ालिब
मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब'
यार लाए मिरी बालीं पे उसे पर किस वक़्त