मुनासिब नहीं आसरा माँगना
दुआ माँगना भी तो क्या माँगना
अगर आँधियों से मुलाक़ात हो
हमारे लिए भी हवा माँगना
किनारों की उम्मीद गिर्दाब से
किनारों से मौज-ए-बला माँगना
तज़ब्ज़ुब के आलम में सोचा किए
दुआ माँगना या दवा माँगना
जहाँ बट रही हो ख़ुशी तोल कर
वहाँ दर्द बे-इंतिहा माँगना
अजब रास्ते के मुसाफ़िर हैं हम
न आया हमें रास्ता माँगना
उसी दिन 'रज़ा' मौत आ जाएगी
किसी दिन अगर पड़ गया माँगना
ग़ज़ल
मुनासिब नहीं आसरा माँगना
क़ाज़ी हसन रज़ा