मुमकिन नहीं दवा है इस आज़ार के लिए 
बेहतर है मौत आशिक़-ए-बीमार के लिए 
मर कर हुआ हूँ ख़ाक दर-ए-यार के लिए 
साया बना हूँ मैं तिरी दीवार के लिए 
दाम-ए-बला-ए-हस्ती-ए-मौहूम में फँसा 
बेहतर यही सज़ा थी गुनहगार के लिए 
क्यूँकर रक़ीब आएँ न महफ़िल में आप की 
है ख़ार गुल के वास्ते गुल ख़ार के लिए 
पा-बोसियों के शौक़ में अपना ये लौह-ए-दिल 
इक ख़ाल बन गया क़दम-ए-यार के लिए 
जल्वा दिखा दे ख़्वाब में बहर-ए-ख़ुदा मुझे 
आँखें तरस गईं तिरे दीदार के लिए 
बच्चों की तरह हम ने इस आग़ोश-ए-नाज़ में 
पाला था दिल को तुझ से दिल-आज़ार के लिए 
अब शैख़-ओ-बरहमन मिरे दामन के तार को 
आते हैं लेने सुब्हा-ओ-ज़ुन्नार के लिए 
मूनिस जो एक दिल था वो घुल कर फ़िराक़ से 
आँसू बना है चश्म-ए-गुहर-बार के लिए 
उस रुख़ को देखते ही दिल-ए-ज़ार ने कहा 
ज़ेबा है ग़ाज़ा ऐसा ही रुख़्सार के लिए 
क्या हाल-ए-दिल सुनाऊँ 'जमीला' कि ज़ोफ़ से 
क़ुव्वत ज़बाँ में चाहिए इज़हार के लिए
        ग़ज़ल
मुमकिन नहीं दवा है इस आज़ार के लिए
जमीला ख़ुदा बख़्श

