मोहब्बतें भी लिखी हुई हैं अदावतें भी लिखी हुई हैं
किताब-ए-दिल में तो जीने मरने की मुद्दतें भी लिखी हुई हैं
बरहना पेड़ों के ज़ावियों में घने अँधेरे उगे हैं लेकिन
इन्ही अँधेरों में रौशनी की इबारतें भी लिखी हुई हैं
यही ज़मीं है कि जिस ने मुझ को मिरा ही क़ातिल बना दिया है
इसी ज़मीं पर मिरे लहू की शहादतें भी लिखी हुई हैं
हनूत चेहरों के आइनों में हवा की लहरों ने ये भी देखा
खंडर खंडर पर नए दिनों की बशारतें भी लिखी हुई हैं
मिरी नज़र में सुराग़-ए-मंज़िल शुऊर बन कर चमक रहा है
मिरी जबीं पर कड़े सफ़र की मसाफ़तें भी लिखी हुई हैं
सितम के मारों की बे-हिसी को तमाशा-गाहों में लाने वालो
नहीफ़ जिस्मों की बेबसी में बगावतें भी लिखी हुई हैं
जदीद हर्फ़ों के दाएरों में पुरानी ख़ुशबू रची हुई है
सदा के रुख़ पर गई रुतों की शबाहतें भी लिखी हुई हैं
ज़मीं की ठंडी तहों के अंदर अलाव करवट बदल रहे हैं
हवा के साकित पने पे 'अतहर' क़यामतें भी लिखी हुई हैं
ग़ज़ल
मोहब्बतें भी लिखी हुई हैं अदावतें भी लिखी हुई हैं
अतहर सलीमी