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मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ | शाही शायरी
mohabbat ki duniya mein mashhur kar dun

ग़ज़ल

मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ

अख़्तर शीरानी

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मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ
मिरी सादा-दिल तुझ को मग़रूर कर दूँ

तिरे दिल को मिलने की ख़ुद आरज़ू हो
तुझे इस क़दर ग़म से रंजूर कर दूँ

मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से
जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ

मोहब्बत के इक़रार से शर्म कब तक
कभी सामना हो तो मजबूर कर दूँ

मिरे दिल में है शोला-ए-हुस्न रक़्साँ
मैं चाहूँ तो हर ज़र्रे को तूर कर दूँ

ये बे-रंगियाँ कब तक ऐ हुस्न-ए-रंगीं
इधर आ तुझे इश्क़ में चूर कर दूँ

तू गर सामने हो तो मैं बे-ख़ुदी में
सितारों को सज्दे पे मजबूर कर दूँ

सियह-ख़ाना-ए-ग़म है साक़ी ज़माना
बस इक जाम और नूर ही नूर कर दूँ

नहीं ज़िंदगी को वफ़ा वर्ना 'अख़्तर'
मोहब्बत से दुनिया को मामूर कर दूँ