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मिरी ज़िंदगी है तन्हा तुम्हें कुछ असर तो होता | शाही शायरी
meri zindagi hai tanha tumhein kuchh asar to hota

ग़ज़ल

मिरी ज़िंदगी है तन्हा तुम्हें कुछ असर तो होता

बबल्स होरा सबा

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मिरी ज़िंदगी है तन्हा तुम्हें कुछ असर तो होता
कोई दोस्त तुम सा होता कोई हम-सफ़र तो होता

ये तमाम साए अपने चलूँ कब तलक समेटे
कोई हम-नशीं तो होता कोई चारा-गर तो होता

कभी कुछ गुमान होता मुझे मंज़िलों का अपनी
जिसे अपना हम ने समझा वही राहबर तो होता

मैं कहाँ से लाऊँ क़िस्मत जो बनूँ तुम्हारे क़ाबिल
कि तुम्हारे घर के आगे मिरा कोई घर तो होता

है अजीब कश्मकश में ये 'सबा' की बंदगी भी
कभी उन के दर के लाएक़ कभी मेरा सर तो होता