मिरा जी गो तुझे प्यारा नहीं है
पर इतना भी तो नाकारा नहीं है
हैं अक्सर ख़ूब-रू ओबाश लेकिन
कोई तुझ सा तो आवारा नहीं है
जो दिल ले कर हुए मुनकिर तुम इस तरह
मियाँ हम ने भी कुछ हारा नहीं है
हज़ारों आरज़ू दिल में गिरह है
पे कहने का हमें यारा नहीं है
न मरने देते हैं 'क़ाएम' को लेकिन
ख़ुदावंदी से कुछ चारा नहीं है
ग़ज़ल
मिरा जी गो तुझे प्यारा नहीं है
क़ाएम चाँदपुरी