आह के तीं दिल हैरान-ओ-ख़फ़ा को सौंपा
मैं ने ये ग़ुंचा-ए-तस्वीर सबा को सौंपा
तेरे कूचे में मिरी ख़ाक भी पामाल हुई
था वो बे-दर्द मुझे जिन ने वफ़ा को सौंपा
अब तो जाता ही है का'बे को तो बुत-ख़ाने से
जल्द फिर पहुँचियो ऐ 'मीर' ख़ुदा को सौंपा
ग़ज़ल
आह के तीं दिल हैरान-ओ-ख़फ़ा को सौंपा
मीर तक़ी मीर