मुझ सोज़ बा'द-ए-मर्ग से आगाह कौन है 
शम-ए-मज़ार मीर ब-जुज़ आह कौन है 
बेकस हूँ मुज़्तरिब हूँ मुसाफ़िर हूँ बे-वतन 
दूरी-ए-राह बन मिरे हमराह कौन है 
लबरेज़ जिस के हुस्न से मस्जिद है और दैर 
ऐसा बुतों के बीच वो अल्लाह कौन है 
रखियो क़दम सँभल के कि तू जानता नहीं 
मानिंद-ए-नक़्श-ए-पा ये सर-ए-राह कौन है 
ऐसा असीर ख़स्ता-जिगर मैं सुना नहीं 
हर आह 'मीर' जिस की है जाँ-काह कौन है
        ग़ज़ल
मुझ सोज़ बा'द-ए-मर्ग से आगाह कौन है
मीर तक़ी मीर

