मैं कौन हूँ ऐ हम-नफ़साँ सोख़्ता-जाँ हूँ
इक आग मिरे दिल में है जो शो'ला-फ़िशाँ हूँ
लाया है मिरा शौक़ मुझे पर्दे से बाहर
मैं वर्ना वही ख़ल्वती-ए-राज़-ए-निहाँ हूँ
जल्वा है मुझी से लब-ए-दरिय-ए-सुख़न पर
सद-रंग मिरी मौज है मैं तब-ए-रवाँ हूँ
पंजा है मिरा पंजा-ए-ख़ुर्शीद मैं हर सुब्ह
मैं शाना-सिफ़त साया-ए-रू ज़ुल्फ़-ए-बुताँ हूँ
देखा है मुझे जिन ने सो दीवाना है मेरा
मैं बाइ'स-ए-आशुफ़्तगी-ए-तब-ए-जहाँ हूँ
तकलीफ़ न कर आह मुझे जुम्बिश-ए-लब की
मैं सद सुख़न-आग़ुश्ता-ब-ख़ूँ ज़ेर-ए-ज़बाँ हूँ
हूँ ज़र्द ग़म-ए-ताज़ा-निहालान-ए-चमन से
उस बाग़-ए-ख़िज़ाँ-दीदा में मैं बर्ग-ए-ख़िज़ाँ हूँ
रखती है मुझे ख़्वाहिश-ए-दिल बस-कि परेशाँ
दरपय न हो इस वक़्त ख़ुदा जाने कहाँ हूँ
इक वहम नहीं बेश मिरी हस्ती-ए-मौहूम
उस पर भी तिरी ख़ातिर-ए-नाज़ुक पे गराँ हूँ
ख़ुश-बाशी-ओ-तंज़िया-ओ-तक़द्दुस थे मुझे 'मीर'
अस्बाब पड़े यूँ कि कई रोज़ से याँ हूँ
ग़ज़ल
मैं कौन हूँ ऐ हम-नफ़साँ सोख़्ता-जाँ हूँ
मीर तक़ी मीर