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मौसम का आह-ओ-नाला से अंदाज़ा कीजिए | शाही शायरी
mausam ka aah-o-nala se andaza kijiye

ग़ज़ल

मौसम का आह-ओ-नाला से अंदाज़ा कीजिए

अंजुम रूमानी

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मौसम का आह-ओ-नाला से अंदाज़ा कीजिए
ताज़ा हवा पे बंद न दरवाज़ा कीजिए

या छेड़िए न मंज़र-ए-नादीदनी का ज़िक्र
या मिस्ल-ए-आफ़्ताब बहम ग़ाज़ा कीजिए

या लब पे लाइए न परेशानियों की बात
या जम्अ बैठ कर कभी शीराज़ा कीजिए

बहलाएँ दिल को ख़्वाब-ए-ख़ुश-आइंद से न क्यूँ
क्या फ़ाएदा कि ज़ख़्म-ए-कुहन ताज़ा कीजिए

इस दौर में कि चेहरे ही 'अंजुम' हुए हैं मस्ख़
क्या ख़त्त-ओ-ख़ाल से तिरे अंदाज़ा कीजिए