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मत पूछ तू जाने दे अहवाल को फ़ुर्क़त के | शाही शायरी
mat puchh tu jaane de ahwal ko furqat ke

ग़ज़ल

मत पूछ तू जाने दे अहवाल को फ़ुर्क़त के

मीर मोहम्मदी बेदार

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मत पूछ तू जाने दे अहवाल को फ़ुर्क़त के
जिस तौर कटे काटे अय्याम मुसीबत के

जी में है दिखा दीजे यक रोज़ तिरे क़द को
जो शख़्स कि मुनकिर हैं ऐ यार क़यामत के

कहता हूँ ग़लत तुझ से मैं दिल को छुड़ाऊँगा
छूटते हैं कहीं प्यारे बाँधे हुए उल्फ़त के

क़स्र-ओ-महल-ए-मुनइम तुझ को ही मुबारक हों
बैठे हैं हम आसूदा गोशे में क़नाअत के

बेदार छुपाए से छुपते हैं कोई तेरे
चेहरे से नुमायाँ हैं आसार मोहब्बत के